Sunday, February 14, 2016

क्या जानिये ...

मरहले क्या मंजिलें क्या राहगीरी जानिये!
आइये, संग बैठिये, मिलकर फ़कीरी छानिये

इश्क़ बिकता है सरे बाज़ार बोली लग रही
कौन है फ़रहाद किसको आज शीरीं जानिये!
इन हवा-ओ-आब में ही तैरते हैं दो जहाँ
इक ग़रीबी देखिये, दूजा अमीरी जानिये

रंग है, बू है यहाँ, लेकिन बड़ी है बेहिसी
अक्स अपना देखिये फिर बेनज़ीरी जानिये
क्या मकाँ है, कौन इसका है मकीं, कैसा गुमाँ
एक खालिक और एक जहानगीरी जानिये

मानिये उस बात को जो है तजुर्बे की कही
कह रहा है जो 'तख़ल्लुस', आपबीती जानिये
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1749 Hours, February 22, 2015

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